About Khandelwal Trust

 संस्था का इतिहास

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सन 1967 में खंडेलवाल समाज के सेवाभावी स्व.श्री. शंकरलालजी भिकमचंदजी खंडेलवाल, श्री नारायणदासजी हिरालालजी खंडेलवाल, स्व.श्री. गणपतलालजी भवानीशंकरजी खंडेलवाल, तथा श्री अमृतलालजी केाडीया आदि मान्यवरोंके प्रयत्नो से जिन समाजबंधुओंके पास अपना खुद का घर  नही था ऐसे बंधुओ के लिए ‘ना नफा ना तोटा’ इस तत्व से कुल 104 प्लाॅट केे ले-आऊट की खेत जमीन खरीदी की गई। और सभी समाज बंधुओ को प्रत्येकी 5000 स्क्वेअर फीट का प्लाॅट् अत्यल्प किमत पर प्रवित्र धारणा के साथ हस्तांतरीत किया गया। इस प्रकार ‘दि विजय मिडल क्लास को.आॅप.हाऊसिंग सोसायटी’ का निर्माण हुआ। इस ले-आऊट के कुल 104 प्लाॅट्स में से 4 प्रवर्तक श्री. शंकरलालजी खंडेलवाल, श्री नारायणदासजी खंडेलवाल, स्व.श्री. गणपतलालजी खंडेलवाल, श्री अमृतलालजी कोडीया इनके अपने खुद के घर होने के कारण उन्होने स्वयं वह प्लाॅट्स न लेकर समाज उपयोगी सेवा के लिए उपयोग में लाये जाना चाहिये, इस उद्देश्य से उन 4 प्लाॅट्स पर सन 2003 मे खंडेलवाल ज्ञान मंदिर की स्थापना कि गयी ।

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खंडेलवाल चॅरिटेबल ट्रस्ट के तात्कालिन अध्यक्ष श्री. मुरलीधरजी खंडेलवाल एवं सचिव श्री. गोपालजी शंकरलालजी खंडेलवाल तथा कार्यकारीणी के सभी सदस्यो के सर्व संमती से मार्च 2003 में खंडेलवाल ज्ञान मंदिर के रूप मे नये शैक्षणिक संस्था का प्रस्ताव सादर किया गया, जिसे 19 अगस्त 2003 को महाराष्ट्र शासन द्वारा मान्यता प्रदान की गयी ।

खंडेलवाल ज्ञान मंदिर मे सत्र 2003-04 मे कुल 10 छात्र तथा 3 शिक्षक द्वारा चलायी जाने वाली इस संस्था के पास अपनी इमारत न होने के कारण तात्कालिन अध्यक्ष श्री. दुर्गालालजी खंडेलवाल तथा सचिव श्री. महेशजी खंडेलवाल इन्होने ट्रस्ट के सदस्य श्री. मदनलालजी मूलचंदजी खंडेेलवाल इनके निर्माणाधीन वास्तु में विद्यालय चलाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे श्री. मदनलालजी खंडेलवाल इन्होने बिना किसी अपेक्षा से सम्मती प्रदान की। अगले 2 वर्ष के उपरांत समाज के एक और दानशूर व्यक्ती श्री विजयकुमारजी गोयनका इनके आदर्शकाॅलनी, स्थीत घर के निचले मंजिल पर विदयालय कार्यरत था। यह जगह श्री. विजयकुमारजी गोयनका द्वारा निःशुल्क प्रदान की गयी । लगभग 2 वर्ष के लिए विद्यालय यही पर स्थीत था। इसके बाद कुछ दिनो के लिए संस्था के सदस्य श्री रेवतीरमणजी खंडेलवाल इनके घर में भी चलाई गयी ।

इस कालावधी मे खंडेलवाल चॅरिटेबल ट्रस्ट ने विजय हाऊसींग को-आॅप. सोसायटी  के सहकार्य से विदयालय के इमारत का निर्माणकार्य का निर्णय लिया । भुमीपुजन तात्कालिन सांसद श्री संजयजी धोत्रे द्वारा सपत्नीक कीया गया । जिस मे श्री. रेवतीरमणजी खंडेलवाल सपत्नीक उपस्थित थे।

खंडेलवाल ज्ञानमंदिर के इमारत का लोकार्पण समारोह दि. 27 एप्रिल 2007  को अखिल भारतीय वैष्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. श्री. कालीचरणदासजी कोडीया, जयपूर इनके शुभ करकमलो द्वारा संप्पन हुआ ।  ‘विद्या दान’ के पावन उद्देष एवं ‘सक्षम विद्यार्थी निर्माण’ इन मुल्यो के आधार पर संस्था ने उत्तरोत्तर प्रगती कर, प्रामाणिक तथा निःस्वार्थ हेतू से समाज के सम्मुख एक आदर्ष प्रस्तापीत किया गया ।

खंडेलवाल समाज के अनेक दानदाताओ ने शिक्षा के महायज्ञ मंें आहुती के रूप में बढचढकर योगदान दिया इसी का परीणाम है की आज संस्था की सर्वासुविधायुक्त वास्तु पूर्ण रूप से विद्या दान क अविरत मार्ग पर प्रगती कर रही है ।

मा.श्री. मोहनलालजी हिरालालजी खंडेलवाल इन्होने सबल आर्थिक सहयोग करने के कारण कक्षा 8 वी से 10 वी ‘श्रीमती इंदिरादेवी मोहनलाल खंडेलवाल मेमोरियल हायस्कूल’ इस नाम से दि. 26 अगस्त 2009 में शुरू की गयी ।

इसी प्रकार अनेक दान दाताओ के सौजन्य से विद्यालय की अनेक कक्षाए, प्राचार्य कक्ष, तथा प्रयोगशाळा के लिए निस्वार्थ भाव से आर्थिक सहयोग प्राप्त हुवा। जिस कारण आज विदयालय की सर्वसुविधायुक्त इमारत,विद्यादान जैसे पवित्र कार्य हेतू   सेवारत हेै।

सन 2016-17 से खंडेलवाल ज्ञानमंदिर ज्युनिअर काॅलेज की स्थापना की गयी। जिसमें कक्षा 11 वी तथा कक्षा 12 वी, विज्ञान शाखा तथा वाणिज्य शाखा के साथ कार्यरत है। दि. 31 दिसंबर 2019 को मा.श्री. मुरलीधरजी खंडेलवाल इनके द्वारा सन्मान राशी शिक्षा के इस पवित्र कार्य हेतु प्राप्त हुई । उनके द्वारा प्रदान की गयी सहयोग राशी के कारण शैक्षणिक  सत्र 2020-21से ‘श्रीमती. कमलादेवी मुरलीधर खंडेलवाल ज्युनियर काॅलेज आॅफ सायन्स अॅन्ड काॅमर्स ’ विद्या दान हेतु सेवारत है ।

संस्था सदैव इन सभी सेवाभावी महानुभावोंके ऋण में रहेगी तथा भविष्य में भी इसी त-हा के सहकार्य की अपेक्षा रहेगी । खंडेलवाल चॅरिटेबल ट्रस्ट व दि विजय मिडलक्लास को. आॅप. हाऊसिंग सोसायटी’ इनके संयुक्त प्रयत्नो द्वारा तीनो संस्थाए सुचार रूप से कार्याधीन है, और जिनके प्रयत्नो द्वारा यह संभव हुआ उनका नामनिर्देष करना संस्था का कर्तव्य है ।

स्व. श्री. शंकरलालजी भिकमचंदजी खंडेलवाल, स्व. श्री. बन्सीधरजी कन्हैयालालजी खंडेलवाल, श्री दुर्गालालजी नंदलालजी खंडेलवाल, श्री. मदनलालजी शंकरलालजी खंडेलवाल, श्री रेवतीरमणजी नारायणदासजी खंडेलवाल, डाॅ. श्री लक्ष्मीनारायणजी विठ्टलदासजी कुलवाल, श्री. श्यामसंुदर मांगीलालजी खंडेलवाल, श्री. महेषजी बन्सीधरजी खंडेलवाल, श्री. रमाकांतजी मुरलाधजी खंडेलवाल, श्री गोपालजी शंकरलालजी खंडेलवाल, श्री. पुरूषोत्तम गोकुलचंदजी खंडेलवाल, श्री. ग्यानप्रकाषजी मुरलीधरजी खंडेलवाल, श्री.दिलीप दामोदरजी खंडेलवाल, श्री. मनोजकुमार मोहनलालजी खंडेलवाल, श्री. प्रमोदजी दामोदरजी खंडेलवाल, श्री. दिलीपकुमारजी  तुलसीरामजी झालानी,  इनके दृढनिश्चय तथा अपार परिश्रम के कारण विद्या के इस मंदिर को मुर्त रूप प्राप्त हुआ है ।

 सभी समाजबंधु, दानशूर मान्यवर तथा पालकगणो के सहकार्य से खंडेलवाल ज्ञानमंदिर  सदैव राष्ट्र निर्माण के जन आंदोलन मार्ग पत पर क्रमस्थ रहेगा ।